Jay Mahesh


 

 माहेश्वरी अभिवादन - जय महेश !


"जय महेश" माहेश्वरीयों में प्रयुक्त एक अभिवादन है. यह माहेश्वरीयों का एकमात्र औपचारिक अभिवादन है. 'जय महेश' का उपयोग लगभग सभी माहेश्वरीयों द्वारा एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए किया जाता है, क्योंकि माहेश्वरीयों के गुरुओं द्वारा यह अभिवादन माहेश्वरीयों को दिया गया था. माहेश्वरीयों में जयकारा "जय भवानी, जय महेश" कहकर लगाया जाता है. माहेश्वरीयों द्वारा पूरे विश्व में एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए "जय महेश" इस पद का उपयोग किया जाता है, भले ही उनकी भाषा जो भी हो. उदाहरणस्वरूप जैसे अमेरिका में रह रहे दो अंग्रेज़ी भाषी माहेश्वरी जो केवल अंग्रेज़ी ही बोलते हैं एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए "Jay Mahesh" बोल सकते हैं. सभी माहेश्वरी भाई और बहनों ने यह संकल्प करना है की हम एक दुसरे से मिलते समय, परिचय करते वक़्त और हर तरह के अभिवादन में जय महेश बोलेंगे जिससे हमेशा अपने उत्पत्तिकर्ता को, अपने आराध्य भगवान महेशजी को याद करते रहे....

''जय महेश'' कहना माहेश्वरीत्व की प्रमुख पहचान है. हम पूरे दिन में शायद भगवान का स्मरण करने के लिए समय न निकल पाए, लेकिन जय महेश कहने से हम स्वतः भगवान महेशजी को नमस्कार करते हैं. माहेश्वरीयों में परस्पर विनय और प्रेमभाव प्रकट करने के लिये जय-महेश शब्द बोला जाता है. पहली बात तो 'जय महेश' बोलने से माहेश्वरी होने की पहचान होती है और साथ में भगवान का नाम भी हम ले लेते है, अगर कोई हमारे मुख से जय महेश सुने तो हमारे संस्कार अच्छे दीखते है.

भारत देश की यह संस्कृति रही है की जब यहाँ के लोग आपस में एक दुसरे से मिलते है तो अभिवादन करते हुए कुछ न कुछ जरुर बोलते है. हर धर्म के अनुयायी अभिवादन में अपने-अपने इष्ट देव का नाम लेते है जैसे मुस्लिम भाई जब मिलते है तब अल्ला का नाम लेते है ...सिख भाई गुरु साहब को याद करते है ...जैन समाज में अभिवादन करने के लिए 'जय जिनेन्द्र' बोला जाता है ........माहेश्वरी समाज में अभिवादन करते समय "जय महेश" बोला जाता है. अगर हम थोड़ी गहराई से विचार करे तो माहेश्वरी समाज में अभिवादन के लिए जय महेश कहकर सगुन साकार और निर्गुण निराकार इन दोनों ही स्वरूपों को साधनेवाले, सत्य, प्रेम और न्याय के प्रतिक माने जानेवाले, जो काल (Tense) से परे है, जो स्वयं महाकाल है ऐसे देवाधिदेव भगवान महेशजी को याद ही नही किया जा रहा है बल्कि उनके सत्य, प्रेम और न्याय के गुणों को स्मरण किया जा रहा है क्यों की माहेश्वरी समाज में तो हमेशा से ही चरित्र को-गुणों को पूजा जाता है. भगवान गौरीशंकर जिन्होंने अपनी इन्द्रियों को हमेशा के लिए जीत लिया है ऐसे जितेन्द्रिय ही महेश कहलाते है, महादेव कहलाते है, महाईश कहलाते है, महेश कहलाते है. यह बात हर धर्म को मान्य है की इंसान की सबसे बड़ी शत्रु इन्द्रियां ही है और उन पर जो विजय प्राप्त कर लेता है वो ही परमात्मा कहलाता है. वास्तव में जय महेश शब्द अपने आप में ही बहुत व्यापक और विशाल है ..और ऐसे शब्द को बोलने बाले भी बहुत विशाल सोच और ह्रदय वाले हो सकते है. हम सभी को अपने सम्पूर्ण जीवन काल में सिर्फ व्यापक सुख की तलाश है जो सुख सिर्फ सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चल कर ही मिल सकता है. हम सभी अपनी वाणी में महेश को शामिल करे ताकि हम भी जितेन्द्रिय बन सके. आज हम सभी माहेश्वरीजन यह संकल्प करते है की हम अभिवादन में जय महेश बोलकर अपने उत्पत्तिकर्ता को, अपने आराध्य को याद करे और खुद जितेन्द्रिय बनकर, सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चल कर व्यापक और विशाल सुख को प्राप्त करे. आज वक़्त ने Hi ..या Hello बोलना सिखा दिया है......वो गलत नही है पर हम अपने ज़हन में अपने भगवान को जरुर स्थान दे. .....इसी आशा के साथ आप सभी को... जय महेश !

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