वेदों, उपनिषदों, पुराणों तथा विभिन्न शास्त्रों में देवाधिदेव शिव के सगुन-साकार रूप को महादेव अथवा महेश्वर के नाम से जाना जाता है. महेश्वर की अर्धांगिनी है- देवी महेश्वरी. इसी देवी महेश्वरी को पार्वती, आदिशक्ति, महादेवी, शिवा (शिवानी), अम्बा, जगदम्बा, दुर्गा, भवानी, चामुण्डा, शक्ति, पराशक्ति, जगतजननी, सर्वकुलमाता, माँ, त्रिपुरसुंदरी, माया, महामाया, आदि-माया, भगवती तथा मूलप्रकृति आदि नामों से भी जाना गया है.
शास्त्रों में बताया गया है की मूलतः शिव और शक्ति एक ही है, अभिन्न है. जहां शिव हैं वहां शक्ति भी है और जहां शक्ति है वहीं शिव भी विराजमान हैं. शिव और शक्ति, महेश और पार्वती एकदूजे में समाहित है. शिव की सक्रिय अवस्था का नाम ही शक्ति है. शिव संकल्प-शक्ति है और पार्वती उन संकल्पों को मूर्त रूप देनेवाली क्रियाशक्ति/ऊर्जाशक्ति है (As per Devi Puran Adhi Parashakti is considered to be a main source of energy for the creation of the whole universe). शिव रूप में संकल्प किये जाते है और शक्ति (पार्वती) रूप संकल्पो को क्रियान्वित करता है. शास्त्रों में वर्णन आता है की शक्ति के बिना शिव 'शव' के समान है और शिव के बिना शक्ति 'शून्य' है. शिव के बिना शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं और शक्ति के बिना शिव 'शव के समान' है. शिव को शक्ति की आत्मा कहा जा सकता है और शक्ति को शिव का शरीर. ऐसा समझें की जैसे शिव आत्मा है और शक्ति है शरीर. शिव-शक्ति के इसी एकत्व को समझने-समझाने हेतु देवाधिदेव महादेव के अर्धनारीश्वर स्वरुप को दर्शाया जाता है. 'अर्धनारीश्वर' प्रतिक है शिव-शक्ति के एकाकार स्वरुप का (माहेश्वरी समाज का पवित्र निशान [Symbol of Maheshwari community] "मोड़" भी इसी शिव-शक्ति के एकाकार स्वरुप को दर्शाता है. 'मोड़' की डिझाइन में 'त्रिशूल' और 'ॐ' का प्रयोग किया हुवा है. त्रिशूल देवी का, माता आदिशक्ति का प्रतिक है. ॐ भगवान महेशजी का प्रतिक है. शिव-शक्ति एकाकारत्व का जो भावार्थ अर्धनारीश्वर का है वही भावार्थ 'मोड़' का है).
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों तथा शास्त्रों के अनुसार आदि-शक्ति पार्वती एक ओर महालक्ष्मी हैं तो दूसरी ओर वह महासरस्वती हैं और मध्य में वह महाकाली हैं. जो महाकाली है वही महालक्ष्मी है, जो महालक्ष्मी है वही महासरस्वती है. इन तीनों में कोई भेद नहीं है. इनके अलग-अलग कार्यों के भेद के कारण ही इनके भिन्न-भिन्न नाम आए हैं. आध्यात्मिक रूप से पराशक्ति पार्वती की ये तीनों शक्तियाँ "बल शक्ति, वैभव शक्ति और ज्ञान शक्ति" की प्रतिक है. "सृजन, पालन, संहार" के तीन गुणों से युक्त है माँ जगत जननी. माँ आदिशक्ति के तीन रूप महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली... वस्तुतः ये तीन रूप नहीं हैं अपितु माँ आदिशक्ति के तीन गुण है या ये कहो की तीन चिंतन है... जिसकी साकारता उनके उपरोक्त तीनों रूप करते हैं.
महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के एकत्रित स्वरुप को 'माँ चामुण्डा" के नाम से जाना जाता है. 'ऐं' महासरस्वती का बीज मंत्र है. 'ह्रीं' महालक्ष्मी का बीज मंत्र है. 'क्लीं' महाकाली का बीज मंत्र है. इन तीनों बीजमंत्रों को एकत्रित करने से चामुण्डा मंत्र बनता है- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।". चामुण्डा मंत्र सभी मन्त्रों में सब से शक्तिशाली मंत्र है. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। इस मंत्र को 'दुर्गा मंत्र' भी कहा जाता है क्योंकी जो चामुण्डा है वही दुर्गा है (दुर्गा वास्तव में शिव की पत्नी पार्वती का एक रूप हैं, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिये देवताओं की प्रार्थना पर पार्वती ने लिया था), जो दुर्गा है वही महेश्वरी है.
"मूलप्रकृति, मूल ऊर्जा" देवी महेश्वरी (आदिशक्ति माता पार्वती) है जिनकी ऊर्जा से चामुंडा (महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती), नवदुर्गा (शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री), दस महाविद्या (काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला) ऊर्जामय है. मूल शक्ति "आदिशक्ति महेश्वरी" है जिनकी शक्ति से महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, नवदुर्गा, दस महाविद्या, अष्टलक्ष्मी आदि शक्तिमान है.
'सर्व चैतन्य रूपां तमाद्यां विद्यां च धीमहि। बुद्धिं या न: प्रचोदयात्॥ सगुणा निर्गुणा चेतिद्विधा प्रोक्ता मनीषिभ:। सगुणा रागिभि: प्रोक्ता निर्गुणा तु विरागिभि:॥' -देवीभागवत-1/1
देवी भागवत के अनुसार वह (आदिशक्ति) सगुण-निर्गुण दोनों हैं, रागी (गृहस्थ/भौतिक-सांसारिक सुखों की इच्छा रखनेवालें) सगुण की तथा विरागी (संन्यासी/मोक्षप्राप्ति की इच्छा रखनेवालें) निर्गुण की उपासना करते हैं.
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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
Nice information provided
ReplyDeleteWonderful enlightening information about Mother, Om Sri Matre Namaha 🙏
ReplyDeleteJay maa uma maheswari
ReplyDeleteJay mata di
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