Rishi Panchami ko Raksha Bandhan | Special identity of Maheshwaris, Rakshabandhan on the day of Rishi Panchami | This Tradition is related to Origin day of Maheshwari Community, day of Mahesh Navami


माहेश्वरीयों की विशिष्ट पहचान
"ऋषी पंचमी" के दिन रक्षाबंधन

आम तौर पर भारत में रक्षाबंधन का त्योंहार श्रावण पूर्णिमा (नारळी पूर्णिमा) को मनाया जाता है लेकिन माहेश्वरी समाज (माहेश्वरी गुरुओं के वंशज जिन्हे वर्तमान में छः न्याति समाज के नाम से जाना जाता है अर्थात पारीक, दाधीच, सारस्वत, गौड़, गुर्जर गौड़, शिखवाल आदि एवं डीडू माहेश्वरी, थारी माहेश्वरी, धाटी माहेश्वरी, खंडेलवाल माहेश्वरी आदि माहेश्वरी समाज) में रक्षा-बंधन का त्यौहार ऋषिपंचमी के दिन मनाने की परंपरा है. इस परंपरा का सम्बन्ध माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से जुड़ा हुवा है.

देखें link > माहेश्वरी वंशोत्पत्ति एवं इतिहास


विदित रहे की माहेश्वरी समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार मनाने की परंपरा चली आई है. एक मान्यता यह है की जब माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई तब जो माहेश्वरी समाज के गुरु थे जिन्हें ऋषि कहा जाता था उनके द्वारा विशेष रूप से इसी दिन रक्षासूत्र बांधा जाता था इसलिए इसे 'ऋषि पंचमी' कहा जाता है. रक्षासूत्र मौली के पचरंगी धागे से बना होता था और उसमें सात गांठे होती थी. वर्तमान समय में इसी रक्षासूत्र ने राखी का रूप ले लिया है और इसे बहनों द्वारा बांधा जाता है.

प्राचीनकाल में शुभ प्रसंगों में, प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन तथा 'ऋषि पंचमी' के दिन गुरु अपने शिष्यों के हाथ पर, पुजारी और पुरोहित अपने यजमानों के हाथ पर एक सूत्र बांधते थे जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था, इसे ही आगे चलकर राखी कहा जाने लगा. वर्तमान समय में भी रक्षासूत्र बांधने की इस परंपरा का पालन हो रहा है.

आम तौर पर यह रक्षा सूत्र बांधते हुए ब्राम्हण "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।" यह मंत्र कहते है जिसका अर्थ है- "दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं. हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो" लेकिन तत्थ्य बताते है की माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र बांधते समय जो मंत्र कहा जाता था वह है-
स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु,
विद्याविवेककृतिकौशलसिद्धिरस्तु।
ऐश्वर्यमस्तु विजयोऽस्तु गुरुभक्ति रस्तु,
वंशे सदैव भवतां हि सुदिव्यमस्तु।।
(अर्थ- आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें. विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें. ऐश्वर्य व सफलता को प्राप्त करें तथा गुरु भक्ति बनी रहे. आपका वंश सदैव दिव्य गुणों को धारण करनेवाला बना रहे. इसका सन्दर्भ भी माहेश्वरी उत्पत्ति कथा से है. माहेश्वरी उत्पत्ति कथा में वर्णित कथानुसार, निष्प्राण पड़े हुए उमरावों में प्राण प्रवाहित करने और उन्हें उपदेश देने के बाद महेश-पार्वती अंतर्ध्यान हो गये. उसके पश्चात ऋषियों ने सभी को "स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु...." मंत्र कहते हुए सर्वप्रथम (पहली बार) रक्षासूत्र बांधा था. माना जाता है की यही से माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र (रक्षाबंधन या राखी) बांधने की शुरुवात हुई. उपरोक्त रक्षामंत्र भी मात्र माहेश्वरी समाज में ही प्रचलित था/है. गुरु परंपरा के ना रहने से तथा माहेश्वरी संस्कृति के प्रति समाज की अनास्था के कारन यह रक्षामंत्र लगभग विस्मृत हो चला है लेकिन माहेश्वरी संस्कृति और पुरातन परंपरा के अनुसार राखी को बांधते समय इसी मंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए.


कुछ माहेश्वरी समाजबंधु रक्षाबंधन का पर्व माहेश्वरी परंपरा के अनुसार "ऋषि पंचमी" को मनाने के बजाय श्रावण पूर्णिमा को ही मना रहे है तो कुछ समाजबंधु यह पर्व मनाते तो ऋषि पंचमी के हिसाब से ही है लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार 2-4 दिन आगे-पीछे रक्षाबंधन कर लेते है जो की उचित नहीं है. शास्त्रों और परम्पराओं के अनुसार कुछ विशेष दिनों का, कुछ विशेष स्थानों का अपना एक महत्व होता है. दीवाली 'दीवाली' के दिन ही मनाई जाती है, किसी दूसरे दिन नहीं. क्या अपनी सुविधा के अनुसार 'गुढी' गुढीपाडवा के बजाय 2-4 दिन आगे-पीछे लगाई (उभारी) जाती है? तो रक्षाबंधन ऋषिपंचमी के दिन के बजाय किसी और दिन कैसे मनाया जा सकता है? यदि माहेश्वरी हैं तो रक्षा बंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाकर गर्व महसूस करें. यदि माहेश्वरी हैं तो... रक्षाबंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाये.


दूसरी एक बात...
आम तौर पर रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार श्रावणी पूर्णिमा (राखी पूर्णिमा) के दिन मनाया जाता है लेकिन माहेश्वरी समाज में परंपरागत रूपसे रक्षाबंधन का त्योंहार ऋषि पंचमी के दिन मनाया जाता है. "ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन" यह बात दुनियाभर में माहेश्वरी संस्कृति (माहेश्वरीत्व) की, माहेश्वरी समाज की विशिष्ठ पहचान बनी है; यह हम माहेश्वरीयों की सांस्कृतिक धरोहर है, विरासत है.  माहेश्वरी रक्षाबंधन के इस त्योंहार को भाई-बहन के गोल्डन रिलेशनशिप के पवित्र धार्मिक त्योंहार के रूपमें परंपरागत विधि-विधान और रीती-रिवाज के साथ मनाया जाता है, मनाया जाना चाहिए लेकिन विगत कुछ वर्षों से, कई बहने राखी बांधने के बाद भाई को श्रीफल (नारियल) के बजाय रुमाल या कोई दूसरी चीज दे रही है. क्या भगवान के मंदिर में नारियल फोड़कर चढाने के बजाय रुमाल फाड़ कर चढ़ाया जा सकता है...? हर चीज का अपनी जगह एक महत्व होता है इस बात के महत्व को समझते हुए श्रीफल की जगह 'श्रीफल' ही दिया जाना चाहिए (हाँ, इसे कुछ विशेष सजावट के साथ या ले जाने में सुविधा हो इस तरह से पैकिंग करके दिया जा सकता है). भाईयों को भी चाहिए की बहन की मंगलकामनाओं और दुवाओं के प्रतिक के रूपमें दिए जानेवाले श्रीफल को अपने साथ अपने घर पर ले जाएं और इसे घर के सभी परिवारजनों के साथ प्रसाद के रूपमें ग्रहण करें.

जिन्हे सगी बहन ना हो वे अपने चचेरी बहन से राखी बांधे लेकिन माहेश्वरी संस्कृति के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन केवल माँ-जाई (सगी) बहन से राखी बांधना पर्याप्त है. जीन भाईयोको माँ-जाई बहन और चचेरी बहन ना हो वह, मित्र की बहन से या अपने कुल के पुरोहित से अथवा मंदिर के पुजारी से राखी बंधाए, और यदि कोई बहन को भाई ना हो तो वह भगवान गणेशजी को राखी बांधे.

Lord Mahesha (Lord Shiva) is the Universal Guru Hence He is Called Adi Guru | May Adi Guru’s Blessings Always Shower On You | Guru Purnima | Maheshacharya | Maheshwari Samaj | Jay Mahesh!

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Oh lord Mahesha, they are your words whereby we Maheswaris is called Shreshth (Best) means Seth (हे भगवान महेशजी, वे आपके शब्द हैं जिससे हम माहेश्वरी श्रेष्ठ अर्थात "सेठ" कहलाते हैं).


Maheshacharya Yogi Premsukhanand Maheshwari : The Guru of Gods is 'Brihaspati', the Guru of Demons is 'Shukracharya' and the Guru of Humans is Maharshi Ved Vyasa. The Guru of these three Gurus is "Lord Mahesha (Lord Shiva)", that is why Lord Maheshji is 'Mahaguru' (The Universal Guru). Be it art, scriptures, science, from health to space, from birth to death, whatever knowledge there is in the world is the first originator of it – Lord Maheshji (Lord Mahesha); That is why Lord Maheshji is “Adiguru”. The scriptures say that Lord Mahesha is the guru of all three worlds (heaven, earth and underworld/netherworld/पाताललोक). On the occasion of Guru Purnima festival, I pay my respects to Adiguru Bhagwan Maheshji, Adi Maheshacharya Maharshi Parashar and all the Gurus of the world. Best wishes to all Maheshwaris and to all of you on Guru Purnima.


देवों के गुरु 'बृहस्पति', दानवों के गुरु 'शुक्राचार्य' और मानवों के गुरु 'महर्षि वेद व्यास' इन तीनों गुरुओं के गुरु है "भगवान महेशजी", इसीलिए भगवान महेशजी 'महागुरु' (The universal Guru) है.

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चाहे कला हो, शास्त्र हो, विज्ञानं हो, आरोग्य से लेकर अंतरिक्ष तक, जन्म से लेकर मृत्यु तक संसार में, जगत में जो भी ज्ञान है उसके प्रथम उद्गाता है– भगवान महेशजी; इसीलिए भगवान महेशजी "आदिगुरू" है.

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शास्त्र कहते है की भगवान महेशजी तीनों लोकों के (स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पाताललोक) के गुरु है.

गुरु पूर्णिमा उत्सव के अवसर पर आदिगुरू भगवान महेशजी, आदि महेशाचार्य महर्षि पराशर व जगत के समस्त गुरुओं को कोटि-कोटि वन्दन्-नमन !

आप सभी देशवासियों और समाजजनों को "गुरु पूर्णिमा" की हार्दिक शुभकामनाएं !


First PM to wish us on Mahesh Navmi


First time, Prime Minister wishes for Mahesh Navami (https://twitter.com/narendramodi/status/603419882030379008). Sabhapati (President) of JMM Yogi Premsukhanand Maheshwari's efforts are behind it.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी "महेश नवमी" की शुभकामनाएं

जागतिक माहेश्वरी महासभा ने उठाया था मुद्दा, 67 साल में पहली बार प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं


65-67 साल में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने महेश नवमी के पर्व पर शुभकामनाएं दी है, माहेश्वरी समाज इससे गौरवान्वित अनुभव कर रहा है l जागतिक माहेश्वरी महासंघ (जेएमएम) ने इस बात को जोर-शोर से उठाया था l जागतिक माहेश्वरी महासंघ के सभापति तथा माहेश्वरी अखाड़े के पीठाधिपति प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी नेमहासंघ एवं समस्त माहेश्वरी समाज की ओरसे प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद प्रकट किया है और इस उपलब्द्धि पर समाज को बधाई दी है l

जागतिक माहेश्वरी महासंघ (जेएमएम) के सभापति प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ने "देश के प्रधानमंत्री द्वारा माहेश्वरी वंशोत्पत्ति

Happy Mahesh Navmi to All


Wish you continuous good Health, more Wealth, Happiness and so many Good Things in your Life. May Bhagwan Maheshji & Maa Bhawani Bless you every day, every way, everywhere. 
:) HAPPY MAHESH NAVMI !

We wish you & your family a very Happy Mahesh Navmi. May Mahesha family (Mahesh Parivar) fulfill all your wishes in Health, Wealth & Happiness in your life.

Long live the tradition of Maheshwari culture and as the generations have passed by Maheshwari culture is getting stronger and stronger lets keep it up. Best Wishes for Mahesh Navmi.

PM Modi wish on Mahesh Navmi.


Narendra Modi, First PM to wish on Mahesh Navmi.

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने दी "महेश नवमी" की शुभकामनाएं !

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने Twitter पर "महेश नवमी" की शुभकामनाएं दी (https://twitter.com/narendramodi/status/603419882030379008). 65 साल में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन 'महेश नवमी' के पर्व पर शुभकामनाएं दी है. First PM to wish us on Mahesh Navmi. श्री नरेंद्र मोदीजी का माहेश्वरी समाज एवं जागतिक माहेश्वरी महासंघ (JMM) की ओरसे आभार ! शत-शत धन्यवाद !!!

Jay Mahesh


 

 माहेश्वरी अभिवादन - जय महेश !


"जय महेश" माहेश्वरीयों में प्रयुक्त एक अभिवादन है. यह माहेश्वरीयों का एकमात्र औपचारिक अभिवादन है. 'जय महेश' का उपयोग लगभग सभी माहेश्वरीयों द्वारा एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए किया जाता है, क्योंकि माहेश्वरीयों के गुरुओं द्वारा यह अभिवादन माहेश्वरीयों को दिया गया था. माहेश्वरीयों में जयकारा "जय भवानी, जय महेश" कहकर लगाया जाता है. माहेश्वरीयों द्वारा पूरे विश्व में एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए "जय महेश" इस पद का उपयोग किया जाता है, भले ही उनकी भाषा जो भी हो. उदाहरणस्वरूप जैसे अमेरिका में रह रहे दो अंग्रेज़ी भाषी माहेश्वरी जो केवल अंग्रेज़ी ही बोलते हैं एक-दूसरे का अभिवादन करने के लिए "Jay Mahesh" बोल सकते हैं. सभी माहेश्वरी भाई और बहनों ने यह संकल्प करना है की हम एक दुसरे से मिलते समय, परिचय करते वक़्त और हर तरह के अभिवादन में जय महेश बोलेंगे जिससे हमेशा अपने उत्पत्तिकर्ता को, अपने आराध्य भगवान महेशजी को याद करते रहे....

Maheshwari Logo with name "Maheshwari" in Hindi | Maheshwari | Maheshwari Symbol | Mahesh Navami – Great celebration of Maheshwari community | The Maheshwari | Maheshwari Samaj ka Symbol

This Maheshwari symbol "Mod (मोड़)" is associated with the existence and identity of Maheshwari community. Similarly, Maheshwari flag "Divydhwaj" is a symbol of the lofty heritage/legacy of Maheshwari community and the pride of Maheshwari. This Maheshwari logo and Maheshwari flag represent the entire Maheshwari community, keep the entire Maheshwari society connected with each other, ensure the unity of the society, inspire the Maheshwari community to keep moving forward on the path of progress, At the same time, every Maheshwari person and Maheshwari community expresses complete dedication and devotion towards Lord Mahesha and Adishakti Goddess Maheshwari (Goddess Parvati). Keeping this Maheshwari symbol and Maheshwari flag as witness, the Maheshwari community celebrates the origin day of their community "Mahesh Navami" with great pomp and devotion.

माहेश्वरी समुदाय के अस्तित्व और पहचान से जुड़ा हुवा है यह माहेश्वरी प्रतीकचिन्ह "मोड़"। इसी तरह से माहेश्वरी समाज की बुलंद विरासत और माहेश्वरी गौरव का प्रतीक है माहेश्वरी ध्वज "दिव्यध्वज"। यह माहेश्वरी प्रतीकचिन्ह और माहेश्वरी ध्वज समस्त माहेश्वरी समाज का प्रतिनिधित्व करते है, समस्त माहेश्वरी समाज को आपस में एक दूसरे से जोड़े रखते है, समाज की एकता को सुनिश्चित करते है, समाज को प्रगति के रास्ते पर सतत आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देते है, साथ ही हरएक माहेश्वरी व्यक्ति और माहेश्वरी समुदाय की भगवान महेश और आदिशक्ति देवी महेश्वरी (देवी पार्वती) के प्रति सम्पूर्ण समर्पणभाव और भक्तिभाव को प्रकट करते है। इसी माहेश्वरी प्रतीकचिन्ह और माहेश्वरी ध्वज को साक्षी रखकर माहेश्वरी समुदाय अपने समाज के उत्पत्ति दिवस "महेश नवमी" को बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव से मनाता है।

maheshwari


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माहेश्वरी क्यों दुर हो रहे है अपनी संस्कृति से ? 
माहेश्वरीयों को 'जय महेश' कहने में क्यों आती है शर्म ?
चलिए और गोर से समझ लेते हैं, आप किसी माहेश्वरी के छोटे बच्चे को जय महेश बोलो वो आपको बदले में क्या जवाब देगा ?
फिर एक जैन के बच्चे को 'जय जिनेन्द्र' कहिये देखिये वो आपको क्या जवाब देता है...
आप खुद समझ जायेंगे की हमारी आने वाली पिढ़ी कहा जा रही है...
यह तो बस एक छोटासा उदाहरण है....... बाकी आप समझदार है...

 आप इतना तो कर ही सकते है...
- अपने घर में छोटे बच्चो को 'जय महेश' कहिये.
- उनसे भी जवाब में 'जय महेश' कहने की आदत डालिए.
- बच्चों को समय-समयपर मंदिर घुमाने लेकर जाइए.
- भगवान महेश (महादेव), पार्वती, गणेशजी की कहानीयां सुनाये....
- उन्हे तिलक लगाने की आदत डालें.
- घर से बाहर जाते समय सबको 'जय महेश' कहकर बाहर निकलिए.
- जब दो माहेश्वरी आपस में मिले तो अभिवादन में 'जय महेश' कहा कीजिये.
- घर में, परिवारवालों से, रिश्तेदारों से और समाजबंधुओं से मारवाड़ी
(राजस्थानी) भाषा में ही बातचीत किया कीजिये.
- रोजाना या सोमवार को घरपर सपरिवार महेशजी की आरती करें.
- गलती होने पर - हे महेश ! बोलने की आदत डालें.
- मुसीबत आये तो "हे माँ भवानी रक्षा करो" या "महेशजी रक्षा करो" बोलिए.

(भले ही आप को इसमें की सभी बातें सही ना लगे तो कोई बात नहीं, इसमें से जो अच्छा लगे, जितना सही लगे उसे ही अपने जीवन में उतारो ये भी बहुत बड़ी बात होगी, कहीं न कहीं से एक शुभ शुरुवात तो होगी !)

...अब एक किस्सा सुनो 

पिछले संडे को मैने सोचा सबको "जय महेश" बोल के देखुं तो संडे को घुमने का मुड़ था सब दोस्त एक मॉल के बाहर मिले कुछ लड़कियां भी थी ...तो वहां मैने सोचा चलो सबको "जय महेश" बोलता हुं और सबके सामने जाते ही कहा- जय महेश दोस्तो...
जैसा की होना था सब पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगे.

मैं भी कमर कस के गया था मैने वहां मेरे एक दोस्त इमरान को बुला लिया था. थोडी देर बाद जब वो आया तो मैने उसे अस-सलाम-वालेकुम कहा, उसने तुरंत वालेकुम-अस-सलाम कहा. सबकी शकल देखने लायक थी.. मैं बोला दम हो तो अब हंस के दिखाओ...

आप भी समझ गये होंगे.. की हमें क्या करना है...

The Flag Of The Maheshwarism / Maheshwaritva | Divy Dhwaj | माहेश्वरी समाज का ध्वज / झंडा - दिव्यध्वज | Divy Dhwaj - The Symbol Of Maheshwari Faith & Its Values | One of the main Maheshwari Symbol

The Divy Dhwaj (Hindi : दिव्य ध्वज), also known as the Maheshwari flag, holds great significance in Maheshwari Community as a sacred emblem that represents the Maheshwari faith and its values. The saffron swallowtail flag of the Maheshwari is called a "Divy Dhwaj". Divy means divine and Dhwaj or Dhwaja means symbol, standard or a mark of identity. The Divy Dhwaj is the Maheshwari flag and plays an important role in the Maheshwari Community. Flag "Divy Dhwaj" is religious flag of Maheshwaris / Maheshwari community. Divy Dhwaja is the banner and insignia of the Maheshwari Community. The flag "Divy Dhwaj" is the symbol of Maheshwari culture and identity. Maheshwari Flag "Divya Dhwaj" is one of the main Maheshwari symbol. Maheshwari flag is mainly hoisted and used in Mahesh Navami programs, Mahesh Navami shobhayatra, religious programs of Maheshwari community etc.

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Design and construction details -

The Divy Dhwaja is a Maheshwari holy swallowtail flag made of cotton or silk cloth. It is a plain saffron-coloured swallowtail-shaped cloth. According to the flag code of Maheshwari, the Maheshwari flag has a ratio of two by three (Proportion : 2:3). The Mod to be printed or painted on the flag in dark blue (colour code : #002157, RGB 0-33-87, CMYK 100-75-0-60) or black. The size of the Mod is not specified in the Flag code.

माहेश्वरी ध्वज "दिव्यध्वज" की png फ़ाइल को Download करने के लिए कृपया इस Link पर क्लिक करें > The Maheshwari Flag "Divy Dhwaj" | Maheshwari flag is the symbol of Maheshwari culture and identity

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माहेश्वरी समाज का ध्वज / झंडा - दिव्यध्वज -

दिव्य ध्वज (English: Divy Dhwaj), जिसे माहेश्वरी ध्वज के रूप में भी जाना जाता है, माहेश्वरी समुदाय में एक पवित्र प्रतीक के रूप में बहुत महत्व रखता है जो माहेश्वरी आस्था और उसके मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है. माहेश्वरी समाज का ध्वज जिसे "दिव्यध्वज" कहते हैं, केसरिया (saffron) रंग के ध्वज पर गहरे नीले अथवा काले (black) रंग में माहेश्वरी निशान "मोड़" द्वारा सुशोभित ध्वज है. दिव्यध्वज माहेश्वरी समाज का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ध्वज है. "दिव्य ध्वज" माहेश्वरीयों / माहेश्वरी समाज का धार्मिक झंडा / ध्वज है। यह माहेश्वरीयों के प्रमुख प्रतीकों में से एक है. यह माहेश्वरीयों की विशिष्ठ पहचान और माहेश्वरी संस्कृति का शास्वत सर्वमान्य प्रतीक है. हम न भूले की- “जो समाज अपनी विशिष्ठ पहचान और अपने प्राचीन गौरव को भुला देता हैं; वह अपनी एकता, सुरक्षा, सुख-समृद्धि के आधार स्तम्भ को खो देता हैं.” "दिव्य ध्वज" माहेश्वरी संस्कृति, अस्मिता एवं माहेश्वरी पहचान का प्रतीक है. माहेश्वरी संस्कृति, समृद्धि, विकास, अस्मिता, ज्ञान, सुसंस्कार और विशिष्टता का प्रतीक है यह दिव्यध्वज. माहेश्वरी समाज की विशिष्ठ पहचान और गौरव का प्रतिक है दिव्यध्वज.

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रंग-रूप (डिझाइन) -

माहेश्वरी ध्वज जिसे "दिव्यध्वज" कहते है, केसरिया (भगवा) रंग के कॉटन अथवा सिल्क के कपडे से बना होता है; यह दो त्रिकोण के आकारवाला (swallowtail shaped) होता है. भगवा रंग उगते हुए सूर्य का रंग है; उगते सूर्य के रंग को ज्ञान, कर्म, वीरता, त्याग का प्रतीक माना गया और इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे प्रेरणा स्वरूप माना. भगवा रंग अधर्म के अंधकार को दूर करके धर्म का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है. यह हमें आलस्य और निद्रा को त्यागकर उठ खड़े होने, कर्म करने और अपने कर्तव्य में लग जाने की भी प्रेरणा देता है. यह हमें यह भी सिखाता है कि जिस प्रकार सूर्य स्वयं दिनभर जलकर सबको प्रकाश देता है, इसी प्रकार हम भी निस्वार्थ भाव से सभी प्राणियों की नित्य और अखंड सेवा करें.

दिव्यध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ (लम्बाई:चौड़ाई) है. केसरिया (भगवा) रंग के कॉटन अथवा सिल्क के कपडे पर माहेश्वरी निशान 'मोड़' अंकित (Printed or Painted) होता है; मोड़ निशान का आकार (साइज) निर्धारित नहीं है. माहेश्वरी ध्वज अपने आप में ही माहेश्वरी समाज के सिद्धांतों और निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है. सत्य, प्रेम, न्याय पर आधारित आत्मरक्षा, शांति, सुसंस्कार, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रेसर.

ई.स.पूर्व 3133 में जब भगवान महेशजी और माता पार्वती के कृपा से 'माहेश्वरी' समाज की उत्पत्ति हुई थी (देखें > माहेश्वरी वंशोत्पत्ति एवं इतिहास) तब जो माहेश्वरियों के गुरु थे उन्होंने भगवान महेशजी और माता पार्वती की प्रेरणा से माहेश्वरी निशान (प्रतीकचिन्ह/Symbol) मोड़ और दिव्यध्वज का सृजन किया था. गुरुओं का मानना था की यह ध्वज सम्पूर्ण माहेश्वरियों को एकत्रित रखता है, आपस में एक-दुसरेसे जोड़े रखता है. मोड़ (माहेश्वरी सिम्बॉल) और दिव्यध्वज माहेश्वरीयों की आन-बाण-शान का प्रतीक है.

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माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस - महेश नवमी पर
माहेश्वरी ध्वज "दिव्य-ध्वज" के साथ बाइक रैली

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Maheshacharya | Supreme Religious Guru Of Maheshwari Community | Peethadhipati - Maheshwari Akhada (Maheshwari Gurupeeth)

Maheshacharya (महेशाचार्य) is the supreme/highest Guru post of Maheshwari community & only the Peethadhipati of "Divyashakti Yogpeeth Akhara (Maheshwari Akhada)" is entitled to be decorated with the title of "Maheshacharya".


Maheshacharya (Sanskrit: महेशाचार्य) is a religious title used for the president (peethadhipati) of “Divyashakti Yogpeeth Akhada" in the tradition of Maheshwaritva / Maheshwarism in Maheshwari community (maheshwari Samaj). "Divyashakti Yogpeeth Akhada (which is known as Maheshwari Akhada, is famous)" is the highest/supreme Gurupeeth of Maheshwari community and Maheshacharya is the supreme/highest Guru post of Maheshwari community. The word "Maheshacharya" is composed of two parts, Mahesha and Acharya. Acharya is a Sanskrit word meaning "teacher", so Maheshacharya means "teacher", who teaches the path shown by Lord Mahesha.

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According to the origin story of Maheshwari dynasty, Lord Maheshji made these six (6) sages Maharishi Parashar, Saraswat, Gwala, Gautam, Shringi, Dadhich the gurus of Maheshwaris and entrusted them with the responsibility of guiding the Maheshwaris/Maheshwari community to follow the path of religion (For the origin story of Maheshwari dynasty, click/touch here > Maheshwari - Origin and brief History). Later, these Gurus also gave the post of Maheshwari Guru to Rishi Bhardwaj due to which the number of Maheshwari Gurus became seven (7) who are called Saptarishi among Maheshwaris. He came to be known as Gurumaharaj. These Gurus had established a 'Gurupeeth' which was called "Maheshwari Gurupeeth" so that the work of management and guidance of Maheshwari society went smoothly. The head of the Gurupeeth was decorated with the title of “Maheshacharya”. Maheshacharya- This is the official highest/supreme guru post of Maheshwari community.

Only the President (Peethadhipati) of “Divyashakti Yogpeeth Akhada” (which is known as Maheshwari Akhara, is famous)" is the highest/supreme Gurupeeth of Maheshwari community, is entitled/officially authorized to be adorned/decorated with the title of “Maheshacharya”. Presently Yogi Premsukhanand Maheshwari is the Peethadhipati of "Divyashakti Yogpeeth Akhara" & is Maheshacharya. Maharishi Parashar is the first Peethadhipati of Maheshwari Gurupeeth and hence Maharishi Parashar is "Adi Maheshacharya".

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However, according to tradition and belief, the heritage of Maheshwari Gurupeeth is more than five thousand years old. It was founded as ‘Maheshwari Gurupeeth’ by Adi Maheshacharya Maharshi Parashar during his lifetime, together with six (6) Rishi- Saraswat, Gwala, Gautam, Shringi, Dadhich and Bhardwaj. However, this tradition restored formally by Yogi Premsukhanand Maheshwari an official name "Divyashakti Yogapeeth Akhada" in the year 2008. At the time of official establishment of this supreme Gurupeeth of Maheshwari community, its name was registered as "Divyashakti Yogpeeth Akhada", but it is popularly known as Maheshwari Akhada, is famous.

Maheshwari Akhada is Maheshwari community's top/supreme religious-spiritual management organization. The main task of the akhada is to defend religion, culture of Maheshwari. Maheshwari Akhada's main objective is to organise, consolidate the Maheshwari society and to protect the Maheshwari culture.

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