Happy Maha Shivratri | Mahashivratri | Date | Maheshwari Samaj | Lord Shiva | Goddess Maheshwari | Images | Maheshwari Festivals

image-of-the-marriage-of-lord-shiva-and-goddess-parvati-on-mahashivratri-maha-shivratri-mahesh-navami-navmi-with-maheshwari-community-samaj-religious-symbol

Mahashivratri is the marriage anniversary of Lord Shiva And Goddess Parvati.


Mahashivratri (commonly known as Shivratri) is a major festival of Lord Shiva (Maheshwara). It is a major festival of the followers of Sanatan Dharma. All the people of Sanatana Dharma celebrate this festival with devotion but in Maheshwari community, 'Mahashivratri' is celebrated as a grand festival and Maha shivratri has special significance for the Maheshwaris.

महाशिवरात्रि (आम बोलचाल में शिवरात्रि) भगवान शिव (महेश्वर) का एक प्रमुख पर्व है. सनातन धर्म को माननेवालों का एक प्रमुख त्योहार है. सनातन धर्म के सभी लोग इस पर्व को भक्तिभाव से मनाते है लेकिन माहेश्वरी समाज में 'महाशिवरात्रि' को महापर्व के रूप में मनाया जाता है और माहेश्वरीयों के लिए महा शिवरात्रि का विशेष महत्व है.

महाशिवरात्रि का यह दिन भगवान महेश्वर (शिव) के अनेक लीलाओं से सम्बंधित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सर्वप्रथम शिवलिंग का प्राकट्य हुवा था. शिवलिंग का यह प्रथम प्राकट्य अग्निलिंग के स्वरुप में हुवा था. महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान महेश्वर (शिव) ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था जो समुद्र मंथन के समय बाहर आया था. अन्य एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान महेश्वर (शिव) का विवाह पार्वती (देवी महेश्वरी) के साथ जिस दिन हुवा था वह दिन भी महाशिवरात्रि का ही दिन था.

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं प्रचलित हैं, फिर भी युवा पीढ़ी को समझाने के लिए एक लाइन में कहा जा सकता है कि आज महेश और पार्वती का मैरिज डे है. महेश-पार्वती के मिलन का पर्व है- महाशिवरात्रि. महेश-पार्वती के विवाह की वर्षगांठ (Marriage Anniversary) है- महाशिवरात्रि. महेश-पार्वती का विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था. प्रेम, समर्पण और तप की परिणति था यह विवाह. दुनिया की बड़ी से बड़ी लव स्टोरी इसके आगे फेल है. जितनी नाटकीयता और उतार-चढ़ाव इस प्रेम कहानी में है, वो दुनिया की सबसे हिट रोमांटिक फिल्म की लव स्टोरी में भी नहीं होगी.

माहेश्वरीयों के लिए क्यों खास है महाशिवरात्रि -
माहेश्वरी समाज के उत्पत्तिकर्ता होने के कारन माहेश्वरीयों के प्रथम आराध्य और इष्टदेव है- महेश-पार्वती. महेश यह भगवान महेश्वर का संक्षिप्त नाम है. महेश (महेश्वर) यह शिव का साकार स्वरुप है. इस ब्रह्माण्ड के उत्पत्तिकर्ता के निराकार स्वरुप का नाम है 'शिव' तथा निराकार स्वरुप का प्रतिक है 'शिवलिंग' और उनके साकार स्वरुप का प्रतिक है विग्रह (शारीरिक आकर को दर्शाती उनकी मूर्ति) जिसे महेश्वर अथवा महादेव के नाम से जाना जाता है. इसे समझना आवश्यक है की इस ब्रह्माण्ड के उत्पत्तिकर्ता के निराकार स्वरुप को 'शिव' कहा जाता है और उनके साकार स्वरुप को 'महेश्वर' कहा जाता है. निराकार स्वरुप को निष्क्रिय स्थिति वाला स्वरुप माना जाता है (क्योंकि निराकार स्वरुप में कोई भी क्रिया की नहीं जा सकती) तो साकार स्वरुप को सक्रीय, क्रियाशील स्वरुप माना जाता है.

परंपरागत मान्यता के अनुसार माहेश्वरी वंशोत्पत्ति के समय महेश-पार्वती ने साकार स्वरूप में प्रकट होकर दर्शन दिए और उनके वरदान से माहेश्वरी वंशोत्पत्ति हुई इसलिए माहेश्वरीयों में महेश-पार्वती की साकार स्वरुप में भक्ति-आराधना करने की परंपरा है. महेश-पार्वती विवाह यह भी शिव के साकार स्वरुप में की गई उनकी लीला है. माहेश्वरी वंशोत्पत्ति के समय ही महेश-पार्वती द्वारा माहेश्वरी वंशोत्पत्ति करने के बाद जो सबसे पहला कार्य किया गया था वो था माहेश्वरीयों का विवाहकार्य (माहेश्वरी समाज में विवाह की विधि में बारला फेरा (बाहर के फेरे) लेने का कारन और रिवाज भी तभी से चला आ रहा है. देखें- Maheshwari - Origin and brief History). इसीलिए माहेश्वरीयों में 'विवाह संस्कार' को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है और इसे मंगल कारज कहा जाता है. इसीलिए महेश-पार्वती के विवाह का दिन 'महाशिवरात्रि' माहेश्वरीयों के लिए खास है और माहेश्वरी समाज इसे महापर्व के रूप में बड़े धूमधाम से से मनाता है. 

माहेश्वरी समाज में 'महाशिवरात्रि' महेश-पार्वती के प्रति सम्पूर्ण समर्पण और आराधना का पर्व है. इस दिन माहेश्वरीयों के हर घर-परिवार में महेश-पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. अभिषेक किया जाता है. महेशाष्टक का पाठ किया जाता है. महेशजी के अष्टाक्षर मंत्र "ॐ नमो महेश्वराय" का जाप किया जाता है. महेशजी की आरती करके उन्हें मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में आधी रात तक जागकर भजन किये जाते है. आम तौर पर सनातन धर्म को माननेवाले महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखते है लेकिन माहेश्वरीयों में महाशिवरात्रि का उपवास रखने की परंपरा नहीं है. अनेको स्थानों पर महेश-पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है, महेशजी की बारात (आम बोलचाल में इसे शिव बारात कहा जाता है) नीकाली जाती है.

माहेश्वरीयों की परंपरागत मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन महेश-पार्वती की भक्ति-आराधना से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है, धन-धान्य, सुख-सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. कुवांरे लड़कों और लड़कियों को अनुकूल मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी में आजीवन प्रेममय सम्बन्ध बने रहते है. भक्तों पर महेश परिवार की अपार कृपा बरसती है.

अनंतकोटी ब्रह्मांडनायक देवाधिदेव योगिराज परब्रह्म, 
भक्तप्रतिपालक पार्वतीपतये श्री महेश भगवान की जय!


आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ! महेश-पार्वती की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे. आप सभी का कल्याण हो, मंगल हो !

महेशाष्टक के लिए कृपया इस Link पर click कीजिये > महेशाष्टक

महेशजी की आरती के लिए इस Link पर click करें > महेशजी की आरती

भगवान गणेशजी की आरती > ॐ जय श्री गणेश हरे