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माहेश्वरी क्यों दुर हो रहे है अपनी संस्कृति से ? 
माहेश्वरीयों को 'जय महेश' कहने में क्यों आती है शर्म ?
चलिए और गोर से समझ लेते हैं, आप किसी माहेश्वरी के छोटे बच्चे को जय महेश बोलो वो आपको बदले में क्या जवाब देगा ?
फिर एक जैन के बच्चे को 'जय जिनेन्द्र' कहिये देखिये वो आपको क्या जवाब देता है...
आप खुद समझ जायेंगे की हमारी आने वाली पिढ़ी कहा जा रही है...
यह तो बस एक छोटासा उदाहरण है....... बाकी आप समझदार है...

 आप इतना तो कर ही सकते है...
- अपने घर में छोटे बच्चो को 'जय महेश' कहिये.
- उनसे भी जवाब में 'जय महेश' कहने की आदत डालिए.
- बच्चों को समय-समयपर मंदिर घुमाने लेकर जाइए.
- भगवान महेश (महादेव), पार्वती, गणेशजी की कहानीयां सुनाये....
- उन्हे तिलक लगाने की आदत डालें.
- घर से बाहर जाते समय सबको 'जय महेश' कहकर बाहर निकलिए.
- जब दो माहेश्वरी आपस में मिले तो अभिवादन में 'जय महेश' कहा कीजिये.
- घर में, परिवारवालों से, रिश्तेदारों से और समाजबंधुओं से मारवाड़ी
( राजस्थानी ) भाषा में ही बातचीत किया कीजिये.
- रोजाना या सोमवार को घरपर सपरिवार महेशजी की आरती करें.
- गलती होने पर - हे महेश ! बोलने की आदत डालें.
- मुसीबत आये तो "हे माँ भवानी रक्षा करो" या "महेशजी रक्षा करो" बोलिए.

...अब एक किस्सा सुनो..

पिछले संडे को मैने सोचा सबको "जय महेश" बोल के देखुं तो संडे को घुमने का मुड़ था सब दोस्त एक मॉल के बाहर मिले कुछ लड़कियां भी थी ...तो वहां मैने सोचा चलो सबको "जय महेश" बोलता हुं और सबके सामने जाते ही कहा जय महेश दोस्तो...
जैसा की होना था सब पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगे.

मैं भी कमर कस के गया था मैने वहां मेरे एक दोस्त इमरान को बुला लिया था. थोडी देर बाद जब वो आया तो मैने उसे अस-सलाम-वालेकुम कहा, उसने तुरंत वालेकुम-अस-सलाम कहा. सबकी शकल देखने लायक थी.. मैं बोला दम हो तो अब हंस के दिखाओ...

आप भी समझ गये होंगे.. की हमें क्या करना है...

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